The National Green Hydrogen Mission

 The National Green Hydrogen Mission

 

राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन को केंद्र सरकार ने मंजूरी दे दी हैं, जिसमें 19,744 करोड़ रुपए का परिव्यय निर्धारित किया गया हैं, तथा इसका उद्देश्य है कि भारत को हरित हाइड्रोजन के उत्पादन के लिए एक वैश्विक केंद्र के रूप में स्थापित किया जा सके।

 नेशनल ग्रीन हाइड्रोजन मिशन की घोषणा पीएम नरेंद्र मोदी द्वारा 2021 के स्वतंत्रता दिवस के भाषण के दौरान की गई थी। राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन एक सरकारी कार्यक्रम में जो भारत में हाइड्रोजन उत्पादन को बढ़ाने के लिए और नवीनतम कार्बन उत्सर्जन की ओर उठाया गया एक भावी कदम है।


नेशनल ग्रीन हाइड्रोजन मिशन के संभावित परिणाम 2030 तक -


  • 2030 तक 50 लाख टन ग्रीन हाइड्रोजन बनाने का लक्ष्य। 
  • वार्षिक हरित हाइड्रोजन उत्पादन को बढ़ाकर 5 मिलियन टन करना ।
  • देश में लगभग 125 गीगावॉट की नवीकरणीय ऊर्जा की क्षमता को बढ़ाना।
  • ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन में लगभग 50 मिलियन मेट्रिक टन की कमी करना।
  • जीवाश्म ईंधन के आयात पर निर्भरता को कम करना।
  • औद्योगिक,परिवहन, और ऊर्जा क्षेत्र तथा अर्थव्यवस्था के कई सेक्टर्स का डेकार्बोनाइजेशन करना।
  •  इसके निर्यात में ग्लोबल हब बनना।
  • छ लाख से अधिक रोजगार का सृजन होगा।
  • स्वदेशी विनिर्माण क्षमता के विकास पर जोर देना।



ग्रीन हाइड्रोजन


ग्रीन हाइड्रोजन एक प्रकार का हाइड्रोजन हैं, जो अक्षय ऊर्जा (नवीकरणीय) स्रोतों से प्राप्त होता हैं  अर्थात हमें प्रकृति से प्राप्त होता है। इसका उत्पादन सूर्य और हवा के ऊर्जा स्रोतों जैसे प्रवण शक्ति स्रोतों के माध्यम से पानी के इलेक्ट्रोलिसिस (एक विद्युत प्रक्रिया) करके प्राप्त किया जा सकता है।



 Image source: solarthermalworld.com


इलेक्ट्रोलिसिस एक विद्युत प्रवाह की प्रकिया हैं, जिसके माध्यम से हाइड्रोजन और ऑक्सीजन को दो भागों में बांट दिया जाता हैं। और हाइड्रोजन को एक ईंधन के रूप में इस्तेमाल करते हैं जैसे - केमिकल मैन्युफैक्चरिंग में, शिपिंग में आदि।

क्योंकि यह जीवाश्म ईंधन से उत्पादित हाइड्रोजन है इसीलिए इसमें कोई कार्बन उत्सर्जन नहीं होता। ग्रीन हाइड्रोजन एक सुरक्षित और स्वच्छ शक्तियों के स्रोत के रूप में बहुत महत्वपूर्ण है । 'ग्रीन हाइड्रोजन को भविष्य का ईंधन ' भी कहा जाता है क्योंकि इसके उत्पादन या इस्तेमाल से कोई भी कार्बन फुटप्रिंट नहीं छूटता। परंतु इस ईंधन को निकालने की प्रक्रिया का ऊर्जा गहन बहुत अधिक है।

 


Types of Hydrogen 


मिशन के घटक:


  1. SIGHT ( स्ट्रैटेजिक इंटरवेंशन फॉर ग्रीन हाइड्रोजन ट्रांजिशन प्रोग्राम) के तहत 17,490 करोड रुपए प्रदान किए गए साथ ही दो वित्तीय प्रोत्साहन तंत्र का निर्माण किया गया हैं जिसमें हरित हाइड्रोजन का उत्पादन करना और इलेक्ट्रोलाइजर के घरेलू विनिर्माण को लक्षित करना हैं।
  2. Green hydrogen hub- बड़े पैमाने पर उत्पादन तथा हाइड्रोजन के उपयोग का समर्थन करने के लिए विभिन्न क्षेत्रों की पहचान करना तथा उन्हें एक हाइड्रोजन हब के रूप में विकसित किया जाएगा।
  3. ग्रीन हाइड्रोजन इकोसिस्टम की स्थापना करना तथा इसके समर्थन के लिए एक सक्षम इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित किया जाएगा।
  4. पायलट प्रॉजेक्ट: 1466 करोड़ रुपए निर्धारित किए गए हैं।
  5. रिसर्च एंड डेवलपमेंट के लिए 400 करोड रुपए।


Hydrogen महत्वपूर्ण क्यों है ?


हाइड्रोजन के महत्वपूर्ण होने के कई कारण हैं जैसे :-
  1. जलवायु परिवर्तन पर नियंत्रण: Hydrogen एक नवीकरणीय स्रोत है जो ग्रीन हाउस गैसे के उत्सर्जन को कम करने में सहायक है तथा जलवायु परिवर्तन को नियंत्रित करने में भी उपयोगी होगा।
  2. ऊर्जा सुरक्षा व भंडारण:  हाइड्रोजन के द्वारा जीवाश्म ईंधन ऊपर भारत की निर्भरता कम हो जाएगी जिसके द्वारा देश की ऊर्जा सुरक्षा बढ़ेगी।
  3. आर्थिक वृद्धि: हाइड्रोजन  से अर्थव्यवस्था का भी विकास होगा क्योंकि हाइड्रोजन के उत्पादन और उपयोग से रोजगार के अवसर को उत्पन्न करेगा साथ ही नए उद्योगों के विकास को समर्थन देगा। जैसे- हाइड्रोजन ईंधन सेल निर्माण, हाइड्रोजन रिफ्यूलिंग इत्यादि।
  4. स्वच्छ परिवहन:  हाइड्रोजन का उपयोग परिवहन के लिए ईंधन के रूप में भी किया जाएगा तथा परिवहन क्षेत्र को डेकार्बोनाइज करने और वायु प्रदूषण को कम करने में मदद कर सकता है।
  5. प्रौद्योगिकी विकास:  हाइड्रोजन के द्वारा प्रौद्योगिकी विकास को भी प्रोत्साहन मिलेगा। जैसे- हाइड्रोजन उत्पादन, भंडारण और परिवहन के लिए नई तकनीक और बुनियादी ढांचे का विकास।
  6. अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा:  हाइड्रोजन मिशन अंतरराष्ट्रीय सहयोग के अवसर भी प्रदान कर सकता और अनुसंधान, विकास और परियोजनाओं पर अन्य देशों के साथ सहयोग के लिए भारत के लिए एक मंच तैयार कर सकता है।
  7. ग्रिड संतुलन: हाइड्रोजन का प्रयोग ग्रिड की संतुलित करने  और नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों के उत्पादन में उतार-चढ़ाव को सुचारू करने के लिए किया जा सकता है।


COP -26 की भूमिका: 

ग्लासगो में आयोजित COP -26 शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए भारत के प्रधानमंत्री ने जलवायु कार्यवाही के लिए कुछ महत्वपूर्ण घोषणा कि जिसे  "Panchamrita" के नाम से जाना जाता है :
  1. वर्ष 2030 तक भारत के गैर जीवाश्म ईंधन ऊर्जा क्षमता को 500 गीगावॉट तक ले जाना। 
  2. वर्ष 2030 तक भारत की 50% ऊर्जा आवश्यकताओं को अक्षय ऊर्जा के माध्यम से पूरा करना।
  3. वर्ष 2030 तक भारत की अर्थव्यवस्था की कार्बन तीव्रता में 45% से अधिक की कमी लाना।
  4. अब से वर्ष 2030 तक इसके शुद्ध अनुमानित कार्बन उत्सर्जन में एक मिलियन टन कटौती करना।
  5. वर्ष 2070 तक शुद्ध शून्य {Net Zero} कार्बन उत्सर्जन के लक्ष्य को प्राप्त करना।


जलवायु परिवर्तन केवल भारत के लिए नहीं पूरे विश्व के लिए एक बड़ी चुनौती हैं। नेशनल ग्रीन हाइड्रोजन मिशन Cop 26 में की गई घोषणा का ही परिणाम है। तथा इस मिशन से भारत के आर्थिक, सामाजिक और पर्यावरणीय लाभ होगा। हम सभी इस बात से परिचित हैं, कि विश्व भर में प्रदूषण की स्थिति किस स्तर पर है और इसका कारण कार्बन का अति उत्सर्जन है। इसलिए ग्रीन हाइड्रोजन एक उपयुक्त उपाय साबित हो सकता हैं। 

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